मेरा सफर -पहली शुरुआत
हैलो ब्लॉगर्स!
मैं यहाँ नया हूँ, और ये मेरी पहली कलम है।
मैं एक छोटे से कस्बे से आता हूँ, जिसका नाम बहुत बड़ा है – सरायमीर।
अगर आप थोड़ा खोज कर देखेंगे, तो आपको पता चल जाएगा कि ये आजमगढ़ में है – जिसे हम कभी आर्यमगढ़ कहा करते थे।
एक बात और पता चलेगी... हो सकता है आपको एक और नाम भी मिल जाए – बड़ा या छोटा, वो आपके नज़रिए पर है।
अगर मिला, तो कॉमेंट्स में ज़रूर बताइएगा। 🙂
अब खुद की बात
मेरी पहचान... शायद कुछ भी नहीं।
पर मेरे नाम से कई लोगों की पहचान बनी है – मेरी अभी तक नहीं।
मैंने एम.ए. किया है – और राजनीति में मेरा थोड़ा बहुत झुकाव है।
मेरा एक सपना है – राजनीति और धर्मशास्त्र को एक साथ समझना और जोड़ना।
कैसे होगा?
यह हमारा सफर ही बताएगा।
आप सिर्फ साथ दीजिए।
मैं करता क्या हूँ?
फिलहाल मैं अपने बाप-दादा की परंपरागत गद्दी संभाल रहा हूँ –
जिसमें परिवार, रिश्ते और भाइयों की पहचान से जूझना पड़ता है।
हाँ भाई, सही समझे – गद्दीदारी।
पर मेरी कहानी गौरव गुप्ता के कहने से काफ़ी अलग है –
वो जितना झूठ बोलते हैं वो झूठ नहीं पर, मेरी कहानी उतनी ही उलटी है।
अगर आप जानना चाहें... तो ज़रूर बताना। मैं लिख दूँगा।
अंत में...
पहला सफर यहीं रोकता हूँ।
आशा है कि आप सभी इस नए साथी का साथ दोगे।
कॉमेंट्स ज़रूर करना – मैं पढ़ता हूँ।
फिर मिलेंगे...
क्या सोच का सफर जारी रखेंगे अभी के साथ।
— थिंकिंग ए.के.बी.
अगर आप चाहें तो मैं इसे एक सुंदर ब्लॉग लेआउट या पीडीएफ में भी बदल सकता हूँ। बताइए?
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